Mehrangarh Fort
Mehrangarh Fort – दोस्तों वैसे तो भारत में बहुत से ऐतिहासिक किले और महल मौजूद हैं, जहां पर घूमने के लिए आपकी पूरी जिंदगी कम पड़ जाएगी। लेकिन आज हम आपको जिस किले के बारे में बताने वाले हैं वह बहुत ही विशाल और ऐतिहासिक है, जी हां हम बात कर रहे हैं, मेहरानगढ़ किले के बारे में, मेहरानगढ़ का किला भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है।
यह किला राजस्थान राज्य के जोधपुर में स्थित है, और भारत के विशालतम किलो में से एक है। मेहरानगढ़ का किला अपनी कलाकारी और नक्काशी के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। यह किला 120 मीटर की ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस तरह से यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार से भी कहीं अधिक ऊंचा है। बता दें कि साल 1965 में भारत, पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था। आपको जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा लेकिन इस किले के ऊपर से पूरा पाकिस्तान दिखाई देता है।
| भारत |
| राजस्थान |
| जोधपुर |
| 12 मई 1459 ई. |
| राव जोधा |
मेहरानगढ़ किले का इतिहास – Mehrangarh Fort History
मेहरानगढ़ किले का इतिहास 500 साल पुराना है। 15 वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण जोधपुर के शासक राव जोधा ने 12 मई 1459 को शुरू करवाया था, और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया।
मेहरानगढ़ किला शहर के मध्य में बना हुआ है, और यह किला एक ऊँची पहाड़ी पर 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और चारों तरफ से मोटी दिवारों से घिरा हुआ है। इसकी दिवारें 36 मीटर ऊँची और 21 मीटर चौड़ी है। यह किला शहर से 410 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
मेहरानगढ़ का संग्रहालय – Mehrangarh Fort Museum
मेहरानगढ़ किले की सीमा के अंदर बहुत सारे पैलेस है जो विशेषतम जटिल नक्काशी और महंगे आँगन के लिये जाने जाते है। इस किले के अंदर आने के लिए घुमावदार रास्ते से होकर कई दरवाजों को पार करना पड़ता है। जयपुर के सैनिको द्वारा तोप के गोलों से किए गए आक्रमण की झलकियाँ आज भी हमें दिखाई देती है।
इस किले के बायीं तरफ किरत सिंह सोडा की समाधि है। जो एक सैनिक था और उसने मेहरानगढ़ किले की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी थी। मेहरानगढ़ का संग्रहालय राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध और बेहतरीन म्यूजियम में से एक है। किले के म्यूजियम के एक विभाग में पुराने शाही पालकियो को रखा गया है, जिनमे विस्तृत गुंबददार महाडोल पालकी भी मौजूद हैं, इस पालकी को 1730 में गुजरात के गवर्नर से युद्ध में जीता गया था।
यह म्यूजियम वहां के पोशाक, चित्र और डेकोरेटेड कमरों की विरासत को भी दर्शाता है। किले के अंदर बहुत से शानदार महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे और जालीदार खिड़कियां हैं, इनमें फूल महल, मोती महल, शीशा महल, सिलह खाना और दौलत खाने का भी समावेश हैं।
किले के म्यूजियम में शाही पालकीयो, लघुचित्र, संगीत वाद्ययंत्र, वेशभूषा,फर्नीचर और भी कई तरह का संग्रह है। किले के पास ही चामुंडा माता का मंदिर है, जिसे राव जोधा ने 1460 ईस्वी में बनवाया था। नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
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मेहरानगढ़ किले का निर्माण – Mehrangarh Fort Built By
भारत में जोधपुर के निर्माण का श्रेय राठौड़ वंश के राव जोधा को दिया जाता है। 1459 में उन्होंने जोधपुर की खोज की थी। राव जोधा रणमल के 24 पुत्रो में से वे एक थे, और 15 वे राठौड़ शासक बने। राव जोधा ने अपनी राजधानी को जोधपुर की एक पहाड़ी पर स्थापित करने का निर्णय लिया, क्योकि उनके अनुसार मंडोर का पुराना किला उनके लिये सुरक्षित नही था।
राव जोधा के भरोसेमंद सहायक में से राव नारा एक थे। उसके बाद राव नारा की मदद से 1 मई 1459 को किले की नीव जोधा द्वारा मंडोर से 9 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर रखी गयी। इस पहाड़ी को पक्षियों के पहाड़ के नाम से भी जाना जाता था। मेहरानगढ़ किले का निर्माण शुरू करने के लिये राजा ने उस चट्टानी पहाड़ी पर रहने वाले निवासियों की जगह को विस्थापित कर दिया था।
उस पहाड़ पर एक चीरिया नाथजी नाम के सन्यासी भी रहते थे जिनको पक्षियों का भगवान भी कहा जाता है। बाद में चीरिया नाथजी को जब पहाड़ो से चले जाने के लिये जोर दबाव डाला गया तब उन्होंने राव जोधा को श्राप देते हुए कहा की, “जोधा! कभी तुम्हारे गढ़ में पानी की कमी महसूस हों।”
इसलिए राजा ने सन्यासी के श्राप के प्रभाव को कम करने के लिए, किले के पास ही मंदिर बनवाए, जिसका उपयोग सन्यासी ध्यान लगाने के लिये करते थे। लेकिन फिर भी सन्यासी के श्राप का असर आज भी हमें उस क्षेत्र में दिखाई देता है। वहां पर हर 3 से 4 साल में कभी ना कभी वहाँ पानी की जरुर होती है।
मेहरानगढ़ किले के प्रमुख दरवाजे – Mehrangarh Fort Door
मेहरानगढ़ किले में कुल सात दरवाजे है, जिनमें से कुछ मुख्य दरवाजों का उल्लेख किया गया है।
1. फत्तेह पोल
इस गेट का निर्माण महाराजा अजित सिंह ने 1707 में मुघलो पर मिली जीत की खुशी में बनाया था।
2. जय पोल
इस गेट का निर्माण महाराजा मान सिंह ने 1806 में बीकानेर और जयपुर पर युद्ध में मिली जीत की ख़ुशी में किया था।
3. डेढ़ कंग्र पोल
जिसे आज भी तोपों से की जाने वाली बमबारी का डर लगा रहता है।
4. लोह पोल
यह मेहरानगढ़ का अंतिम द्वार है, जो किले के परिसर में बना हुआ है। इसके बायीं तरफ रानियों के हाथों के निशान मौजूद हैं, जिन्होंने 1843 में महाराजा मान सिंह की मृत्यु के बाद खुद को कुर्बान कर दिया था।
लोह पोल के बाईं ओर जौहर करने वाली रानियों के हाथों के निशान आज भी मौजूद है, और यहां 15 से ज्यादा रानियों की हाथों के निशान हैं, जिन्होंने 1843 मे महाराजा मान सिंह की मौत के बाद जौहर किया था, और इस घटना से पहले भी 1731 में महाराजा अजीत सिंह की छह रानियों और 58 पटरानियों ने राजा के निधन के बाद जौहर कर लिया था।
मेहरानगढ़ की प्रमुख विशेषताएं – Mehrangarh Fort Information in Hindi
- मेहरानगढ़ किला राजस्थान के सबसे विशाल और ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है।
- यह किला 500 साल पुराना है और इसका निर्माण राव जोधा ने 15 वी शताब्दी मैं 1459 में करवाया था।
- यह किला एक चट्टानी पहाड़ी पर बना हुआ है, और यह लगभग 400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
- मेहरानगढ़ किले कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों को किले में दर्शाया गया है, जिसमें फिल्म द डार्क नाइट राइजेस का नाम भी शामिल है।
- मेहरानगढ किले के ऊपर से पूरे जोधपुर के साथ-साथ पाकिस्तान भी दिखाई देता है
Best Time To Visit Mehrangarh Fort
दोस्तों अगर आप भी मेहरानगढ़ किले की यात्रा करने की सोच रहे हैं, बता दें कि यहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के के महीनों के बीच है। क्योंकि उस टाइम सर्दियों का मौसम रहता है इसलिए यहां का मौसम काफी ठंडा और सुखद रहता है।
यह किला सुबह 9:00 बजे पर्यटकों के लिए खोला जाता। उसके बाद आप इस पूरे किले में आराम से घूम सकते हैं, और इसके अलावा आप यहां के आसपास के पर्यटन स्थलों पर जा सकते हैं।
Mehrangarh Fort Ticket Price
राजस्थान के जोधपुर में मेहरानगढ़ किले की टिकट की कीमत भारतीय नागरिकों के लिए 100 रुपये और विदेशी आगंतुकों के लिए 600 रुपये है।
How To Reach Mehrangarh Fort
जोधपुर शहर भारत के प्रमुख शहरों मैं से एक है यहां पर आप रेल, सड़क और हवाई यात्रा के माध्यम से यहां पर पहुंच सकते हैं। इसीलिए पर्यटक इनमे से किसी से ट्रेवल करके आसानी से मेहरानगढ़ किले तक पहुंच सकते है।
दोस्तों यह था Mehrangarh Fort का संपूर्ण इतिहास और उसके निर्माण की कहानी दोस्तों आपको मेहरानगढ़ किले का इतिहास और उसका सौंदर्य कैसा लगा है, हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और उम्मीद करता हूं, आपको हमारी यह जानकारी और पोस्ट पसंद आई होगी अगर पसंद आई है तो अपने दोस्त के साथ इस पोस्ट को जरुर शेयर करें।
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