रशियन स्लीप एक्सपेरिमेंट का सच – Russian Sleep Experiment in Hindi

Russian Sleep Experiment

Russian Sleep Experiment – दोस्तों अगर हम कभी बिना सोए 1 दिन भी लगातार किसी कारण से जगे रहे हैं तो अगले ही दिन हमारा सर भारी होने लगता है और नींद आने लगती हैं। लेकिन क्या हो अगर किसी इंसान को 30 दिनों तक लगातार बिना सोए गुजारना पड़े तो क्या होगी। इस सवाल को सुनकर ही आप शायद घबरा जाएंगे। 

लेकिन सन 1940 में विश्व युद्ध के दौरान एक ऐसा ही प्रयोग सोवियत यूनियन ने बंदी बनाए हुए पांच कैदियों पर किया था, हालांकि, 30 दिन पूरे होने से पहले ही उन्ह सभी कैदियों को जान से मारना पड़ा था. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ था कि इस एक्सपेरिमेंट के पूरा होने से पहले ही कैदियों को मौत के हवाले कर दिया था ?

तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको दुनिया का सबसे खौफनाक और इंसानियत को शर्मसार करने वाले एक ऐसे एक्सपेरिमेंट के बारे में बताएंगे जिसने इंसान को दरिंदा बनने पर मजबूर कर दिया। ओर इस एक्सपेरिमेंट का नाम रखा गया था- ‘रशियन स्लीप एक्सपेरिमेंट’ (The Russian Sleep Experiment).

 

Russian Sleep Experiment Explained

यह घटना सन 1940 की है जब सोवियत यूनियन ने इस स्लीपिंग एक्सपेरिमेंट के लिए विश्व युद्ध के दौरान बंदी बनाए हुए दुश्मन सेना के कुछ सेनिको को बंदी बना लिया था उनमे से पांच कैदियों को इस खतरनाक एक्सपेरिमेंट के लिए चुना गया । उन सभी को इस एक्सपेरिमेंट के दौरान इन कैदियों को 30 दिनों तक एक कमरे में बंद रखा जाना था। 

the russian sleep experiment

शर्त रखी गई कि अगर ये सभी कैदी बिना नींद निकले इस एक्सपेरिमेंट को 30 दिनों तक सफलतापूर्वक पूरा कर लेते हैं, तो सभी कैदियों को जेल से आज़ाद कर दिया जाएगा। साथ ही, सोवियत यूनियन ने जिस कमरे में उन कैदियों को रखा था, वहां उन्हें खाने के लिए खाना पीने के लिए पानी और पढ़ने के लिए किताबों से लेकर,हर तरीके की सुविधाएं दी गईं थी.लेकिन उनके सोने या बैठने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।

उस समय सीसीटीवी कैमरा ना होने के कारण उनपर नज़र रखने के लिए उस कमरे में दो वन-वे मिरर भी लगाए गए थे। और साथी ही कमरे की हलचल को जानने के लिए उस कमरे में एक माइक्रोफोन भी लगाया गया था। कैदियों को नींद ना आए इस वजह से उस बंद कमरे में एक एक्सपेरिमेंटल गैस उचित मात्रा में ऑक्सीजन के साथ मिलाकर धीरे-धीरे छोड़ी जाती थी. ये गैस एक केमिकल स्टीयूमलेंट थी, जो उन्हें जगाए रख सके, और जिसके कारण वह नींद न निकल पाए कमरे में।

 

पहले सप्ताह में बिगड़ने लगे केदियो की हालत

चार दिनों तक कैदियों के व्यवहार में कोई नहीं आया लेकिन  दिन से उनकी बेचैनी अचानक बढ़ गई। और नौवें दिन उनमें से एक कैदी मानसिक संतुलन खोने की वजह से कई घंटो लगातार चिल्लाता रहा, जिस वजह से उसके गले के आवाज कि स्वर्गरांथिया फट गई, जिसके कारण उसकी आवाज चली गई ।

धीरे-धीरे उन सभी कैदियों की हालत एक जैसी हो गई।  जो गैस उनके कमरे में छोड़ा जा रहा था उसका असर सारे कैदियों पर अब दिखने लग गया था और वह सभी अपना मानसिक संतुलन खोने लगे थे। और कमरे के अंदर अजीब सी हरकेत करने लग गए थे, कोई देख ना ले इसलिए वो केदी किताबो के पन्नों को फाड़कर उस कांच की खिड़की पर चिपका रहे थे।

धीरे-धीरे रिसर्चर उनके कमरे में उस गैस की मात्रा बढ़ाने लगे तो कुछ दिनों तक उस कमरे से अजीब तरीके से बड़बड़ाने और चिल्लाने की आवाज़ें आती रहीं जो बाद में जाकर बिल्कुल भी बंद हो गईं । पहले रिसर्चर को लगा की माइक्रोफोन मैं कोई प्रॉब्लम आई होगी। हालांकि रिसर्चर को उस कमरे में हो रहे ऑक्सीजन के प्रयोग से पता चल पा रहा था कि वो सारे कैदी अभी जिंदा हैं, इस लिए कोई भी उस कमरे में नहीं जाना चाहता था ।

 

जब रिसर्चर द्वारा कमरे को खोलने का लिया फ़ैसला

लेकिन कुछ दिनों तक जब कोई भी आवाज़ उस कमरे से आनी बंद हो गई तो घबराए रिसर्चर ने उस कमरे से उस एक्सपेरिमेंटर गैस को हटाकर उस कमरे में दाखिल होने का फैसला किया। दरवाजा खोलने से पहले उन्होंने घोषणा की कि हम माइक्रोफोन की जांच करने के लिए दरवाजा खोल रहे हैं। और सभी कैदी दरवाजे से दूर हट जाए और जमीन पर लेट जाएं और अगर किसी ने ऐसा नहीं किया तो उसे गोली मार दी जाएगी । तभी अंदर से बेहद खौफनाक आवाज़ में एक कैदी ने उन्हें अंदर आने से मना किया और साथ ही कहा कि वो अब आज़ाद नहीं होना चाहते हैं।

यह सब सुनकर रिसर्चस के होश उड़ गए, और जैसे ही दरवाजा खोला तो अंदर का नजारा बिलकुल रौंगटे खड़े करने वाला था। क्योंकि जो खाना कैदियों को दिया गया था,उन्होंने उसे छुआ भी नहीं था । चारो तरफ फर्श पर खून पसरा हुआ था, और कैदियों के कटे हुए अंग पड़े हुए थे, जिसे वो बाद में खा सके,कुछ कैदी फर्श पर पड़े हुए मांस के टुकड़ो को खा रहे थे ।

ये दिल दहलाने वाला नज़ारा देखकर रिसर्चर के भी होश उड़ गएं ।इसके बाद उन कैदियों को इलाज के लिए उस कमरे से बाहर निकाल कर हॉस्पिटल ले जाया जाने लगा। तब सारे कैदी छटपटाने और चिल्लाने के साथ-साथ उस गैस को फिर से चालू करने और उसी कमरे में जाने के लिए रिसर्चर से बार-बार भीख मांग रहे थे।

 

जब कैदियों को वहा से बाहर लाया गया। 

और जब ऑपरेशन के लिए कैदियों को बेहोश करने के लिए मॉर्फिन के 8 इंजेक्शन लगाए गए लेकिन उनपर इसका भी कोई असर नहीं हुआ। आपको बता दें कि मोर्फिन के 1 इंजेक्शन से ही कोई भी व्यक्ति बेहोश हो जाता है । वही मोर्फीन के 8 इंजेक्शन लगाने के बाद भी वह केदी होश में थे।

और बार-बार वह डॉक्टरों से बोल रहे थे कि हमें होश में रखकर ही हमारा ऑपरेशन किया जाए क्योंकि उन कैदियों को अब दर्द में भी मजा आने लगा था। और साथ ही उसी कमरे में ले जाने के लिए बार-बार भीख मांग रहे थे । हालांकि इस ऑपरेशन के दौरान 5 मै से 3 कैदियों की जान चली गई । 

 

यह भी देखें

  1. भारत के 10 सबसे बड़े बॉडीबिल्डर
  2. दुनिया के  रहस्यमई दरवाजे।
  3. भारत के सबसे अजीबोगरीब देसी जुगाड़।
  4. दुनिया के 10 सबसे खतरनाक सांप 

 

जब इस रसियन स्लिप एक्सपेरिमेंट को बीच में रोकने की कोशिश। 

अब यह एक्सपेरिमेंट धीरे धीरे हैवानियत का रूप लेने लगा था लेकिन इसके बावजूद भी इस एक्सपेरिमेंट को नहीं रोका गया । और बाकी दो कैदियों को वापस उसी कमरे में बंद कर दिया गया। लेकिन कैदियों की हालात को देखते हुए रिसर्चर बेहद डर गए थे और इस एक्सपेरिमेंट को रोकना चाहते थे । लेकिन चीफ कमांडर के आदेश की वजह से वह ऐसा कर ना सकें।

इस बार उन कैदियों को मॉनिटर करने के लिए तीन रिसर्चर को भी उनके साथ रखा गया,लेकिन उन कैदियों के हरकत की वजह से एक रिसर्चर इतना डर गया कि जिसके कारण उसने चीफ कमांडर के साथ दोनों रिसर्चस के गोली मार कर बाकी बचे दो बचे कैदियों को भी गोली मार दी, और खुद को भी गोली मारकर उसने उस एक्सपेरिमेंट के रहस्य को वहीं दफना दिया । इस घटना के बाद इस एक्सपेरिमेंट को यहीं रोक दिया गया । और भविष्य में कभी कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट आज तक नहीं हुआ। 

 

रसियन स्लिप एक्सपेरिमेंट का अस्तित्व में आना।

इस एक्सपेरिमेंट की जानकारी को साल 2009 में CRIPIPASTA WIKI नामक एक WEBSITE पर किसी अनजाने काउंट के जरिए दुनिया के सामने लाया गया । और साथ ही लिखा गया कि यह ऐक रहस्य था जिसको पूरी दुनिया से छुपाया गया था । 

रसियन स्लिप एक्सपेरिमेंट की सत्यता।

हालांकि, जब इस प्रयोग के बारे में रूस से पूछा गया तो उसने ऐसे एक्सपेरिमेंट को किए जाने की बात से साफ इंकार कर दिया, जिसके बाद इस प्रयोग और Website पर छपे आर्टिकल की सत्यता पर सवाल खड़े हो गएं। इसके अलावा भी कई और भी कारण हैं जिस कारण से इस रसियन स्लिप एक्सपेरिमेंट की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए।

 

रशियन स्लीप एक्सपेरिमेंट की सत्यता पर सवाल।

  • इस आर्टिकल में इस बात का जिक्र किया जाना कि ऑपरेशन के वक्त बचे हुए दो कैदियों के दिल में हवा चली गई थी । लेकिन उसके बावजूद वह दोनों जिंदा रहे, ऐसा होना नामुमकिन है ।
  • क्योंकि किसी भी व्यक्ति के दिल में हवा का प्रवेश जानलेवा होता है,दिल में हवा का प्रवेश होते ही व्यक्ति हॉर्ट अटैक से मर सकता है।
  • दुनिया में अभी तक ऐसा कोई स्टिम्युलेट ड्रग नहीं बना जो किसी भी व्यक्ति के व्यवहार को इस कदर प्रभावित करे या हरकतों में इस कदर बदल दे।

कई सालों बाद तक जब इस एक्सपेरिमेंट को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला तो इसे किसी लोगो ने इसे कल्पना मान कर भूला दिया गया लेकिन आज भी यह सवाल उठता रहता है कि यह खोफनाक स्लीप एक्सपेरिमेंंट किसी लेखक की कल्पना मात्र थी या सच में इस तरह का एक्सपेरिमेंंट किया गया था।

 

दोस्तों यह था दुनिया का सबसे खतरनाक रशियन स्लीप एक्सपेरिमेंट (The Russian Sleep Experiment) दोस्तों इस एक्सपेरिमेंट को लेकर आपका क्या मानना है, क्या यह एक सच्ची घटना थी या फिर किसी लेखक की कहानी हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ अधिक से अधिक शेयर जरूर करें।

दोस्तों अगर आप इस आर्टिकल के ऊपर हमारी वीडियो देखना चाहते हैं, तो यह वीडियो देखे।

रशियन स्लीप एक्सपेरिमेंट की सच्चाई – Russian Sleep Experiment

Leave a Comment