रानी की वाव – Rani Ki Vav History in Hindi

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रानी की वाव

Rani Ki Vav – अपनी अद्भभुत संरचना और  बेमिसाल बनवट के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण में स्थित एक प्रसिद्ध बावड़ी है। यह भारत की सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। गुजरात में सरस्वती नदी के तट पर बनी यह एक सीढ़ीनुमा बावड़ी है।

अपनी अद्भुत कलाकृति और अद्धितीय संरचना के साथ भूमिगत जल के उपयोग एवं बेहतरीन जल प्रबंधन कि व्यवस्था के चलते इसे 22 जून 2014 को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल किया गया। अहमदाबाद से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर बनी यह ऐतिहासिक धरोहर प्रेम का प्रतीक मानी जाती है।

  • देश 
   भारत
  • स्थान 
   पाटनगुजरात,
  • निर्माण 
   1063 ई. /11वी, शताब्दी  
  • निर्माणकर्ता 
   रानी उदयामति
  • युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
   22 जून 2014
  • प्रकार 
    बावड़ी 

 

Rani ki vav चारों और से बेहद सुंदर और आर्कषक कलाकृतियों से घिरी हुई है।  इस विशाल ऐतिहासिक संरचना के अंदर 800 से भी ज्यादा मूर्तियों मोजुद है, जिन्हें बहुत ही शानदार तरीके से उकेरा गया है। इस ऐतिहासिक बावड़ी को साल 2018 में RBI द्धारा जारी 100 रुपए के नए नोट पर भी प्रिंट किया गया है, तो दोस्तों आइए जानते हैं, इस बावड़ी के इतिहास और उससे जुड़ी प्रमुख विशेषताओं कुछ के बारे में।

 

रानी की बावड़ी इतिहास – Rani Ki Vav History

अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध रानी की वाव गुजरात के पाटन शहर में स्थित है। पाटण को पहले ‘अन्हिलपुर’ के नाम से जाना जाता था, जो पहले गुजरात की राजधानी थी। इस भव्य और विशाल बावड़ी का निर्माण सोलंकी वंश के शासक भीमदेव की पत्नी रानी उदयमति ने 1063 ई. (11वीं) में अपने स्वर्गवासी पति की स्मृति में इस 7 मंजिला बावड़ी का निर्माण किया गया था।

rani ki vav was built by

रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा’ खेंगार की पुत्री थीं, और राजा भीमदेव गुजरात के सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। सोलंकी राजवंश के शासक भीमदेव ने वडनगर गुजरात पर 1021 से 1063 ई. तक शासन किया था। 

 

रानी की बावड़ी का निर्माण – Rani Ki Vav Built By

लेकिन बहुत सारे लोगों का कहना हैं, कि इस अनोखी बावड़ी का निर्माण पानी का उचित प्रबंध करने के लिए किया गया था, क्योंकि उस क्षेत्र में वर्षा बहुत ही कम होती थी, लेकिन कुछ लोककथाओं के अनुसार रानी उदयमती ने जरूरतमंदो को पानी प्रदान कर पुण्य कमाने के लिए इस 7 मंजिला बावड़ी का निर्माण करवाया था। सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह विशाल बावड़ी कई सालों तक इस नदीं में आने वाली बाढ़ की वजह से धीरे-धीरे मिट्टी और कीचड़ के मलबे में दब गई थी।

लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि कई सालों तक मलबे में दबे रहने के बाद भी इस बावड़ी की मूर्तियां, शिल्पकारी काफी अच्छी स्थिति में पाए गए, भूगर्भीय बदलावों के कारण आने वाली बाढ़ और लुप्त हुई सरस्वती नदी के कारण यह बहुमूल्य धरोहर क़रीब 700 सालों तक मलबे में दबी रही। काफी खुदाई करने के बाद यह बावड़ी पूरी दुनिया के सामने आई, जिसके बाद करीब 80 के दशक में भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग ने इस जगह की खुदाई करके इसे खोज निकाला।

 

यह भी देखें 

  1. स्टैचू ऑफ यूनिटी। 
  2. जालियाँवाला बाग हत्याकांड।
  3. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास। 
  4. दुनिया के सबसे खतरनाक हैकर्स 
  5.  बुर्ज खलीफा को कैसे बनाया गया था।

 

रानी की वाव की वास्तुकला – Rani Ki Vav Architecture

11वीं सदी में बनी यह बावड़ी वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। इस बावड़ी के निर्माण में मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली का इस्तेमाल कर किया गया है। ‘रानी की वाव’ को उत्तम वास्तुकला का बेजोड़ नमूना माना जाता है। वहां के खंभे आज भी सोलंकी वंश और उनके वास्तुकला के समय में ले जाते हैं।

बावड़ी की दीवारों और स्तंभों पर अधिकांश मूर्तिकला तथा नक्काशी में राम, वामन, कल्कि जैसे विष्णु के अवतार, महिषा सुरमर्दिनी जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों को उकेरा गया है। 7 मंजिला इस भव्य बावड़ी की पूरी संरचना भूमिगत है। यह वाव 64 मीटर लंबी 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। 

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रानी की वाव ऐसी इकलौती बावड़ी है, जो विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हुई है।इस बावड़ी की दीवारों पर बेहतरीन शिल्पकारी और सुंदर मूर्तियों की नक्काशी की गई है, जिसके कारण यहां आने वाले सभी सैलानियों का मन मोह लेती हैं। आपको बता दें कि इस विशाल सीढ़ीनुमा बावड़ी के नीचे एक छोटा सा गेट भी है, जिसके अंदर 30 कि.मी. लंबी सुरंग बनी हुई है।

यह सुरंग पाटण के सिद्धपुर में जाकर खुलती है। कहा जाता है कि पहले इस सुरंग का इस्तेमाल राजपरिवार युद्ध या फिर किसी कठिन परिस्थिति के समय करते थे। फिलहाल यह सुरंग पत्थर और कीचड़ की वजह से बंद है। यह बावड़ी बाहरी दुनिया के कटे होने की वजह से आज भी काफी अच्छी हालत में है। इस अनूठी बावड़ी में 500 से ज्यादा बड़ी मूर्तियां हैं, और 1 हजार से ज्यादा छोटी मूर्तियां हैं।

इस बावड़ी में भगवान विष्णु के दशावतारों की मूर्तियां   बेहद आर्कषक तरीके से उकेरी गईं हैं, जिसमें नरसिम्हा, वामन, राम, वाराही, कृष्णा  समेत अन्य प्रमुख अवतार की कलाकृतियां उकेरी गईं हैं। इसके अलावा इस विशाल बावड़ी में सभी प्रमुख देवी देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलती है। तथा भारतीय महिला के 16 श्रंगारों को दर्शाया गया है। 

 

रानी की वाव का कुंआ – Rani Ki Vav Step Well

रानी की वाव (बावड़ी) के सबसे अंतिम स्तर पर जाने पर आपको एक गहरा कुआं दिखाई देगा, इस कुएं को आप ऊपर से भी देख सकते है, और अगर आप इस कुएं की गहराई तक जाना चाहते हैं, तो इसके अन्दर सीढ़ियां भी बनी हुई है।

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लेकिन अगर आप इसे ऊपर से नीचे की तरफ देखते हैं तो यह दीवारों से बाहर निकले हुए कुछ कोष्ठ नजर आते हैं, लेकिन अगर आप इस कुएं की गहराई कुएं तक जाते हैं तो वहां पर शेष शैय्या पर लेटे हुए भगवान विष्णु की अद्भूत मूर्ति देखने को मिलती है।

 

Rani Ki Vav Information in Hindi

  • रानी की वाव’ दुनिया की इकलौती ऐसी बावड़ी है, जिसें अपनी अद्भुत संरचना और बनावट एवं ऐतिहासिक महत्व के चलते 22 जून 2014 को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल किया गया।
  • रानी की वाव (बावड़ी) का निर्माण 11वीं सदी में सोलंकी राजवंश की रानी उदयमती ने अपने स्वर्गवासी पति भीमदेव सोलंकी की याद में करवाया था।
  • इस बावड़ी को मारु-गुर्जर स्थापत्य शैली में बनाया गया है, और यह 64 मीटर ऊंची, 20 मीटर चौड़़ी और करीब 27 मीटर गहरी है, जो तकरीबन 6 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है। बावड़ी के नीचे एक गेट है, जिसके अंदर करीब 30 किलोमीटर लंबी एक सुरंग बनी हुई है, जो पाटण के सिद्धपुर में जाकर खुलती है। 
  • गुजरात में स्थित रानी की वाव में 500 से भी ज्यादा बड़ी मूर्तियां और करीब 1 हजार से ज्यादा छोटी मूर्तियों को बेहद ही शानदार ढंग से उकेरा गया हैं। 
  • रानी की वाव को साल 2016 में दिल्ली में हुई इंडियन सेनीटेशन कॉन्फ्रेंस (भारतीय स्वच्छता सम्मेलन) में ”क्लीनेस्ट आइकोनिक प्लेस” पुरस्कार से नवाजा गया है।
  • दुनिया भर में प्रसिद्ध इस ऐतिहासिक वाव को जुलाई, 2018 में  RBI ने अपने नए 100 रुपए के नोट पर प्रिंट किया है।

 

How To Reach Rani ki vav in Hindi

रानी की वाव गुजरात के पाटन शहर में स्थित है, और अहमदाबाद से करीब 140 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, जहां तक आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

Rani Ki Vav Entry Fee

रानी की वाव में भारतीय पर्यटकों के लिए 50 रु. और विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रुपए रखा गया है।

Rani ki vav Opening Time

रानी की वाव (बावड़ी) हर सोमवार से लेकर रविवार की सुबह 9:00 बजे से लेकर रात की 9:00 बजे तक खुली रहती है।

Rani ki vav Best Time to Visit

अक्टूबर से अप्रैल के बिच का समय यह की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि उस समय मौसम सुहावना होता है। इस दौरान यह का तापमान 12 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

 

दोस्तों आपको हमने इस आर्टिकल में “Rani ki vav  रानी की वाव (बावड़ी)” के इतिहास लेकर उसके निर्माण के बारे में जानकारी दी है उम्मीद करता हूं आपको हमारी यह पोस्ट और जानकारी पसंद आई होगी अगर पसंद आई है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर सांझा करें। धन्यवाद

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रानी की वाव का इतिहास –  Rani ki Vav Story in Hindi

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