आमेर किले का इतिहास – Amer Fort History in Hindi (Amber Fort)

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Amer Fort History

Amer Fort – राजस्थान के ऐतिहासिक किले देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में मशहूर हैं। ऐसा ही एक किला है, आमेर का किला, यह किला भारत के राजस्थान राज्य की पिंक सिटी जयपुर में एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण एवं विशाल किलों में से एक है। 16 वीं सदी में बना यह किला राजस्थानी कला और संस्कृति का अद्भुत नमूना है। 

  • देश 
   भारत 
  • राज्य  
   राजस्थान 
  • जिला 
   जयपुर 
  • निर्माण 
   1592 – 1727 
  • निर्माणकर्ता 
   राजा मन सिंह प्रथम 

 

यह किला अपनी अनूठी वास्तुशैली और शानदार संरचना के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यह किला राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक है। आमेर किले को अंबर पैलेस या अम्बर किले के रूप में भी जाना जाता है।

आमेर का किला राजस्थान के सबसे बड़े किलों में से एक है, जो कि जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित यह किला गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से मिलकर बना यह किला 4 वर्ग किलोमीटर (1.5 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें अठारह मंदिर, तीन जैन मंदिर और तीन मस्जिद हैं। इस किले के आकर्षण और भव्यता को देखते हुए यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया।

 

आमेर किले का इतिहास – Amer Fort History

आमेर के किले के इतिहास के बारे में बात करें तो आमेर की स्थापना मूल रूप से 967 ई. में राजस्थान के मीणाओं में चन्दा वंश के राजा एलान सिंह द्वारा की गई थी। और जिसे हम अभी आमेर किले के रूप में जानते हैं। उसे आमेर के कछवाहा राजा मानसिंह के शासन में पुराने किले के अवशेषों पर बनाया गया है। लेकिन मानसिंह के बनवाये गए महलों का अच्छा विस्तार उनके ही वंशज जय सिंह प्रथम द्वारा किया गया था।

amer ka kila

और अगले 150 वर्षों तक कछवाहा के राजपूत राजाओं ने आमेर किले का निर्माण जारी रखा गया, और सवाई जयसिंह द्वितीय के शासनकाल में 1727 में इन्होंने अपनी राजधानी जयपुर नगर में स्थानांतरित कर ली। लेकिन इतिहासकार जेम्स टॉड के अनुसार इस क्षेत्र को पहले खोगोंग नाम से जाना जाता था। उस समय यहां पर मीणा राजा एलान सिंह चन्दा का राज था।

उसने एक बेघर राजपूत माता और उसके पुत्र को शरण मांगने पर अपना लिया। मीणा राजा ने उस बच्चे यह बड़े हो जाने पर उसका नाम ढोला राय रख दिया। ढोला राय को मीणा साम्राज्य की विरासत का प्रसार करने के लिए प्रतिनिधि के रूप में दिल्ली भेजा गया था। मीणा राजवंश के लोग हमेशा अपने पास शस्त्र रखा करते थे, जिसके कारण उन पर आक्रमण करके उनको हराना संभव नहीं था। 

लेकिन साल में एक बार, दीपावली के दिन यहां बने एक कुण्ड में अपने शस्त्रों को उतार कर अलग रख देते थे, और स्नान एवं पितृ-तर्पण किया करते थे। यह बात धीरे धीरे सभी राजपूतों में फ़ैल गयी, और दीवाली के दिन घात लगाकर राजपूतों ने उन निहत्थे मीणाओं पर आक्रमण कर दिया एवं उस कुण्ड को मीणाओं की लाशों से भर दिया और इस तरह खोगोंग पर कछवाहो ने अपना आधिपत्य प्राप्त किया।

लेकिन इतिहास में कछवाहा राजपूतों के इस कार्य को अत्यधिक कायरतापूर्ण व शर्मनाक माना जाता है। उस समय राजा पन्ना मीणा का शासन था, अतः इस बावड़ी को पन्ना मीणा की बावड़ी कहा जाने लगा। यह बावड़ी 200 फ़ीट गहरी है तथा इसमें 1800 सीढियां है।

 

आामेर के किले का निर्माण – Amber Fort Built By

आमेर शहर मूल रूप से स्थानीय मीणाओं द्वारा 967 ई. में बसाया गया था और अगर देखा जाए तो मूल रूप से आमेर का किला मीणाओ के चंदा वंश के राजा एलान सिंह ने बनवाया था। जिस पर कालांतर में  कछवाहा  राजपूत मान सिंह प्रथम ने राज किया व इस दुर्ग का निर्माण करवाया। इतिहासकारों की माने तो राजस्थान के आमेर किले का निर्माण 16 वीं शताब्दी में राजा मान सिंह प्रथम द्धारा करवाया गया था। 

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1600 के दशक की शुरुआत में राजा मानसिंह ने अपने पूर्ववर्ती से गद्दी संभाली। जिसके बाद उन्होंने पहाड़ी के ऊपर पहले से बने ढांचे को नष्ट करके आमेर किले का निर्माण शुरू किया, और राजा मान सिंह के उत्तराधिकारी राजा जय सिंह प्रथम सहित अगली दो शताब्दियों तक राजपूत महाराजाओं के शासनकाल के दौरान निरंतर जीर्णोद्धार और सुधार हुए थे, और 16 वीं शताब्दी के अंत में यह पूरा हुआ।

1727 में राजपूत के महाराजाओं ने अपनी राजधानी को आमेर से जयपुर स्थानांतरित करने का फैसला किया, जिसके बाद किले की स्थिति में कोई और बदलाव नहीं हुआ। अमेर किले का निर्माण ज्यादातर लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर का उपयोग करके किया गया था। हालांकि मूल रूप से यह किला राजपूत महाराजाओं के मुख्य निवास के रूप में रहा।

इसलिए इसके बाद के संशोधनों में, किले को जानबूझकर एक भव्य महल की तरह बनाया गया था। आमेर किलों को पहले कदीमी महल के नाम से जाना जाता था। कुछ लोगों का मानना है कि इस किले का नाम भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया, जबकि कुछ लोग आमेर किले के नाम को लेकर को ऐसा मानते हैं कि इस किले का नाम मां अंबे से लिया गया है।

 

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आमेर के किले की वास्तुकला – Amber Fort Architecture

आमेर किले की स्थापत्य कला मुगल और राजपुताना शैली का मिश्रित रूप है। इस किले को बाहर से देखने पर यह मुगल वास्तुशैली से प्रभावित दिखाई पड़ता है, जबकि अंदर से यह किला राजपूत स्थापत्य शैली में बना हुआ है। इस किले के अंदर प्राचीन वास्तुशैली एवं इतिहास के प्रसिद्द एवं साहसी राजपूत शासकों की तस्वीरें भी लगी हुई हैं।

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इस विशाल किले के अंदर बने ऐतिहासिक महल, उद्यान, जलाशय एवं सुंदर मंदिर इसकी खूबसूरती को दो गुना कर दते हैं, इस किले के पूर्वी और बने मुख्य प्रवेश द्धार जिसे सूरपोल (सूर्यद्धार) भी कहा जाता है। वहीं इस किले के अंदर दक्षिण में भी एक भव्य द्धार बना हुआ है, जिसे चन्द्रपोल के नाम से भी जाना जाता है। वही पीले, लाल बलुआ एवं संगमरमर के पत्थरों से निर्मित इस किले के दक्षिण की ओर गणेश पोल स्थित है, जो इस किले का सबसे आर्कषक और सुंदर द्धार है, जिसको मिर्जा राजा जयसिंह ने बनवाया था।

इस द्धार में बेहतरीन नक्काशी एवं शानदार कारीगिरी की गई है। वहीं इस द्दार के ऊपर भगवान गणेश जी की एक मूर्ति भी विराजमान है, इसलिए आमेर किले के इस द्धार को गणेश द्धार कहा जाता है, और इसी द्धार के पास एक बेहद आर्कषक संरचना दीवान-ए-आम बनी हुई है, जहां पहले सम्राटों द्दारा आम जनता के लिए दरबार लगाया जाता था,और उनकी फरियाद सुनी जाती थी।

किले के मुख्य आकर्षणों में जय मंदिर और शीश महल हैं। जल मंदिर की खास विशेषता यह है कि इसके चारों और पानी होने की वजह से उसके अंदर का वातावरण सामान्य रहता है। शीश महल  की एक खासियत यह है कि रात में कुछ मोमबत्तियों की रोशनी में भी यह पूरा महल रोशनी से जगमगा उठता है। शीश महल को 16 वीं शताब्दी के अंत में राजा मान सिंह के शासनकाल के दौरान बनाया गया था।

किले के अंदर ही जलेब चौक बना हुआ है जिसका इस्तेमाल सेना द्वारा अपने युद्ध के समय को फिर से प्रदर्शित करने के लिए किया गया था, जिसे महिलाएं सिर्फ अपनी खिड़की से देख सकती थी। जलेब चौक के दोनों तरफ सीढ़ियां दिखाई देती हैं। जिनमें से एक तरफ की सीढ़ियां सिंहपोल की तरफ जाती हैं, और दूसरी तरफ की सीढि़यां राजपूत राजाओं की कुल देवी शिला माता मंदिर की तरफ जाती हैं।

यह मंदिर इस भव्य किले के गर्भगृह में स्थापित है, जिसका ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है, और जो भी पर्यटक आमेर किले को देखने आते हैं वो इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। वहीं इस विशाल किले के अंदर जाने पर दीवान-ए-खास, सुख महल, शीश महल समेत कई ऐतिहासिक और बेहद आर्कषक संरचनाएं बनी हुई है। किले की इन संरचनाओं में भी अद्भुत कलाकारी दिखती है।

आमेर किले में एक चारबाग शैली से बना हुआ एक खूबसूरत उद्याग भी है, यह किला करीब 2 किलोमीटर लंबे भूमिगत मार्ग (सुरंग) के माध्यम से जयगढ़ किला से जुड़ा हुआ है। इस मार्ग को युद्ध और आपातकालीन स्थिति के समय में राज परिवारों को जयगढ़ किले तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस किले से थोड़ी ही दूर पर जयगढ़ किला बना हुआ है। आमेर किले की सुंदरता और भव्यता को देखने हर साल भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, और 2013 में कंबोडिया के नोम पेन्ह में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 37 वें सत्र में, आमेर किले को राजस्थान के पांच पहाड़ी पर्वतों के रूप में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया।

 

आमेर किले के प्रमुख दर्शनीय स्थल

राजस्थान के आमेर दुर्ग के अंदर बने कुछ महत्वपूर्ण संरचनाएं निम्नलिखित हैं।

1. दीवान-ए-आम – Diwan A-Aam

आमेर किले की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाओं में दीवान-ए-आम प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसका निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। दीवान-ए-आम का निर्माण मुख्य रूप से आम जनता की फरियाद और समस्याएं पर विचार विमर्श करने के लिए किया गया था। इस  ऐतिहासिक संरचना को शीशे के पच्चीकारी काम के साथ बेहद शानदार नक्काशीदार स्तंभों के साथ बनाया गया है।

दीवान-ए-आम में बेहद आर्कषक 40 खंभे बने हुए हैं, यह खंभे दो तरह के पत्थरों से बने हुए है, जिसमे लाल रंग के पत्थर और दुसरे संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इन खंभों सुंदर बनाने के लिए इन पर बेशकीमती स्टॉन्स लगाएं गए थे, और इस  इमारत के पत्थरों पर कई अलग-अलग तरह की बेहद सुंदर मूर्तियां खुदी हुई हैं।

2. सुख निवास – Sukh Niwas

आमेर किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के पास में स्थित सुख निवास इस किले के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। सुख महल के दरवाजा चंदन और हाथी दांत से बना है, कहा जाता है कि इस जगह का इस्तेमाल राजा अपनी रानियों के साथ समय बिताने के लिए करते थे, जिसकी वजह से इस जगह को सुख निवास के रूप में जाना जाता है। सुख निवास की अद्भुत कलाकारी और नक्काशी पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं।

3. दीवान-ए-खास, शीशमहल – Diwan- A- Khass (Sheesh Mahal)

आमेर महल के महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक दीवान-ए-खास को शीश महल के नाम से भी जाना जाता है जिसका निर्माण राजा जयसिंह ने 1621- 1667 ई. में करवाया था। कांच की सुन्दर जड़ाई कार्य होने के वजह से इसे “शीशमहल” कहा जाता है। इस महल को कई अलग-अलग तरह के सुंदर दर्पणों से मिलाकर बनाया गया है।

शीशमहल को बनाने के लिए बेल्जियम देश से शीशे मगवाये गये थे, इसलिए जब भी शीश महल के अंदर थोड़ी बहुत भी प्रकाश की किरण पड़ती है, तब पूरे हॉल में रोशनी हो जाती है। शीश महल की सबसे खास बात यह है कि रात में इसे प्रकाशित करने के लिए सिर्फ एक मोमबत्ती की रोश्नी ही काफी है। दीवान-ए-खास का निर्माण राजा के खास मेहमानों और दुसरे शासकों के राजदूतो से मिलने के लिए किया गया था।

4. गणेश पोल – Ganesh Gate

आमेर के किले में मुख्य प्रवेश द्वार को ही गणेश पोल के नाम से जाना जाता है। किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के दक्षिण की तरफ  गणेश पोल स्थित है। गणेश पोल का निर्माण मिर्जा राजा जय सिंह द्धितीय ने 1611 से 1667 ई. के बीच करवाया था। गणेश पोल इस दुर्ग के बने 7 बेहद आर्कषक औऱ सुंदर द्धारों में से एक है।

इस शानदार द्धार के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि, जब भी राजा युद्द जीतकर आते थे, तब इस  मुख्य द्धार से प्रवेश करते थे, जहां उनके ऊपर फूलों की वर्षा और राजाओं का स्वागत किया जाता था। किले के इस आर्कषक द्दार को बेहद शानदार तरीके से सजाया गया है। इस द्धार में ऊपरी हिस्से पर भगवान गणेशजी की एक छोटी सी बेहद शानदार मूर्ति स्थापित है, जिसकी वजह से इसे गणेश पोल कहा जाता है।

5. चांद पोल – Chand Gate

आमेर दुर्ग में बना चांद पोल दरवाजा पहले आम जन के प्रवेश करने का मुख्य दरवाजा था। वही जिस तरफ यह द्वार हैं उसी और चंद्रमा उदय होता था इसलिए इस द्वार नाम चाँद पोल रखा गया, यह दरवाजा इस किले के पश्चिमी और बना हुआ है। इस द्वार के सबसे ऊपरी मंजिल में नौबतखाना हुआ करता था, जिसमें ढोल, नगाड़े  समेत कई बार संगीत एवं वाद्य यंत्र बजाए जाते थे।

6. दिल आराम बाग – Dalaram Bagh

आमेर किले के अंदर बना दिल आराम बाग इस किले चार चांद लगा देता है, जिसके पूर्वी चबुतरे पर जय मंदिर और पश्चिम चबुतरे पर सुख निवास है। दिल आराम बाग का निर्माण करीब 18 वीं सदी में किया गया था। इस सुंदर बाग में सरोवर, फव्वारे बनाए गए हैं, इसको पानी सुख महल की पाईपों से मिलता है। इस बाग का आर्कषण दिल को सुकून देने वाला है, इसलिए इसका नाम दिल आराम बाग रखा गया है।

7. देवी शिला माता मंदिर – Shila Mata Temple

आमेर किले के अंदर एक प्रसिद्ध शिला माता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह द्धारा किया गया था। इस मंदिर को बनाने के लिए सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि राजा मान सिंह काली माता के बहुत बड़े भक्त थे, वही मंदिर की मूर्ति को बंगाल से लेकर आए थे। लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि केदार राजा ने जब महाराजा मानसिंह से अपनी बेटी की शादी की करवाई थी। 

तब उन्हें यह मूर्ति भी भेंट की थी आमेर किले के परिसर में स्थित शिला माता के इस मंदिर से हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी हुई भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है इसलिए  देविय चमत्कारों के कारण श्रद्धा का केन्द्र है।

8. मान सिंह महल – Man Singh Palace 

आमेर किले के परिसर के दक्षिण में सबसे पुराना महल मान सिंह का महल है जिसके बनने में लगभग 25 साल का लंबा समय लगा था, और वह 1599 में बनकर तैयार हुआ था। इसके अंदर स्तंभो की बारादरी है जिनके उपर और नीचे रंगीन टाईलों से अलंकरण किया गया है।

9. त्रिपोलिया द्वार – आमेर किले के पश्चिमी और बने इस त्रिपोलिया द्वार, मैं इसके नाम के अनुरूप इसमें तीन दरवाजे हैं और तीनों दरवाजे अलग-अलग मैहर की ओर जाते हैं जिसमें से एक जलेब चौंक की तरफ जाता है, दुसरा मान सिंह महल और तीसरा जनाना डढ्योडी की तरफ जाता है।

10. सिंह द्वार – Singh Gate

यह इस किले का एक विशिष्ट द्वार है जिसका इस्तेमाल निजी भवनों में प्रवेश करने के लिए किया जाता है। इस द्वार की सुरक्षा सख्त और सशक्त होती थी जहाँ पर हमेशा संतरी तैनात रहता था। इस द्वार का डिजाईन बहुत ही अजीब और टेढ़ा मेढ़ा है। सिंह द्वार का निर्माण राजा जय सिंह के काल 1699-1743 में हुआ था।

 

आमेर किले से जुड़े रोचक तथ्य – Amber Fort Interesting Facts 

  • आमेर किले का निर्माण 16 वीं शतब्दी में राजा मानसिंह द्धारा करवाया गया था, और इस किले का नामकरण अम्बा माता से हुआ था, जिन्हें मीनाओ की देवी भी कहा जाता था।
  • इस किले की वास्तुकला और अनूठी संरचना के कारण वर्ष 2013 में यूनेस्को द्धारा वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल किया गया।
  • आमेर किले और जयगढ़ किले के मध्य में 2 किलोमीटर लंबी एक सुरंग (भूमिगत मार्ग) बनी हुई है, जिसके माध्यम से पर्यटक एक किले से दूसरे किले में जा सकते है। आमेर किले को साल 2007 के आंकड़े के हिसाब से तकरीबन 15 लाख से भी अधिक पर्यटक इस किले को देखने आए थे।
  • आमिर के इस किले में बहुत सारी बॉलीवुड एवं हॉलीवुड सुपरहिट फिल्मों की भी शूटिंग की जा चुकी है, जिसमें बॉलीवुड फिल्म बाजीराव मस्तानी, शुद्ध देसी रोमांस, मुगले आजम, भूल भुलैया, जोधा अकबर शामिल हैं। वहीं हॉलीवुड फिल्मों में द बेस्ट एग्ज़ॉटिक मॅरिगोल्ड होटल, नार्थ वेस्ट फ़्रन्टियर आदि शामिल हैं।
  • आमेर का किला जयपुर से केवल 11 किलोमीटर दूर पर स्थित यह किला कई शताब्दी पूर्व कछवाहों की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन जयपुर शहर की स्थापना के बाद जयपुर कछवाहों की राजधानी बन गई थी।

 

आमेर किले तक कैसे पहुंचे – How To Reach Amber Fort

राजस्थान मैं स्थित आमेर का यह किला जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  इस किले को देखने के लिए आपको सबसे पहले राजस्थान के गुलाबी शहर से मशहूर जयपुर मैं पहुंचना होगा जयपुर तक सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं।

जयपुर शहर में आने के बाद बस, टैक्सी या फिर ऑटो रिक्शा के माध्यम से इस भव्य और विशाल किले को देखने जा सकते हैं।  इसके अलावा सैलानी अपने निजी वाहनों के माध्यम से भी इस किले को देखने पहुंच सकते हैं।

Amber Fort Opening Time

आमेर किला पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह सुबह 9 बजे से लेकर शाम की 6 बजे तक खुला रहता है। 9 से 6  बजे के बिच आप इस किले में गम सकते है। 

Amber Fort Entry Fee

  • आमेर किले में भारतीय लोगो के लिए प्रति व्यक्ति 25 रु है। 
  • भारतीय छात्रों के लिए प्रति व्यक्ति 10 रु है।
  • विदेशी पर्यटकों के लिए प्रति व्यक्ति 550 है, और विदेशी छात्रों के लिए प्रति व्यक्ति 100 है। 
  • अंग्रेजी में लाइट शो के लिए प्रति व्यक्ति 200.
  • अंग्रेजी में लाइट शो के लिए प्रति व्यक्ति 100 है।  और अगर आप यह पर हाथी की सवारी का आनंद लेना चाहते है, तो 1100 प्रति युगल है। 

 

आमेर किला किस जगह है – Amer Fort Location

amber fort location

 

आमेर के इस किले में अलग-अलग शासकों के समय इस किले में कई ऐतिहासिक संरचनाओं को नष्ट भी किया गया तो कई नई शानदार इमारतों का निर्माण किया गया, लेकिन कई आपदाओं और बाधाओं को झेलते हुए आमेर (अंबर) का यह किला आज भी राजस्थान की शान बढ़ा रहा है एवं गौरवपूर्ण एवं समृद्ध इतिहास की याद दिलवाता है।

दोस्तों आपको हमने इस आर्टिकल में  Amber Fort  के इतिहास से लेकर उसके निर्माण तक की कहानी का जिक्र किया है। आशा करता हूं कि आपको हमारी है पोस्ट पसंद आई होगी अगर पसंद आई है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ अधिक से अधिक साझा करें।

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